हम सभी ‘ममी’ नाम से परिचित तो हैं ही, बचपन से कहानियों में, छोटे बच्चों की किताबों मे, ममी का जिक्र हमेशा होता ही हैं. जिसे बच्चे ही नही बड़े भी सुनने को इच्छुक रहते हैं. उसके रहस्य जानने को लालायित रहते हैं. पर कभी किसी ने सोचा हैं कि हम इसे ममी बोलते क्यो हैं, अगर किसी को दफ्न करना ही हैं तो कुछ और नाम से दफ्न नही कर सकते. आखिर ये बनाई क्यो जाती हैं और कहां पाई जाती हैं. दरअसल, ममी एक संरक्षित शव को कहते हैं. शव जिनके अंगों को जान-बूझकर किसी निधि के तहत संरक्षित कर दिया जाता हैं या फिर कोई रहस्य है जो अभी हमारे सामने उजागर नही हुआ हैं.
इसका जिक्र इसलिए हो रहा हैं क्योकि आज ही के दिन मिस्र में चिपोज के पिरामिड में 4400 साल पुरानी ममी मिली. वैसे तो ममी को बनाने की प्रथा मिस्र से चली आ रही हैं, पर इसकी दुनिया अरबी भाषा में अलग हैं. ममी को अरबी भाषा में मोम या तारकोल के लेप से सुरक्षित रखी गई चीज़ के जान से पुकारा जाता हैं.
प्रथा में जानिए ममी बनाने का रहस्य-
प्राचीन में लोग इस प्रथा को मानकर चलते थे या फिर उन लोंगों का यह विश्वास होता था कि मृत व्यक्ति के शरीर को संभालकर रखा जाना चाहिए, ताकि अगले जन्म में वो उस शरीर को पा सकें. शायद इसी प्रथा के चलते प्राचीनकाल के लोगों के मन में लोगों के प्रति इतने उदारवादी भाव होते थे कि उनकी सोच उनके व्यक्तिव को बयां करती हैं. इसी प्रथा के साथ लोगों ने ममी बनाने की प्रकिया शुरू कर दी. ऐसे भी कई प्रथाएं होंगी जो ममी बनाने के एक अद्भुत रहस्य को उजागर करती हैं और जिनका वास्ता हमारे से अभी अछूता हैं.
अपनी कला हैं ममी को दफनाने की भी-
प्राचीनकाल में ममी बनाने में लगभग 70 दिन का समय लगता था और इसे बनाने के लिए धर्मगुरु और पुरोहितों के साथ-साथ विशेषज्ञ भी होते थे. कहा जाता हैं कि ममी बनाने के लिए सबसे पहले मृत शरीर की पूरी नमी को समाप्त किया जाता था, इस काम में कई दिन लगते थे. इसके बाद संरक्षित करने के लिए उचित रसायनों का प्रयोग अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम आर्द्रता, बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं. फिर पट्टियां लपेटने का काम किया जाता था और पूरे शरीर पर पतले कॉटन की परत-दर-परत पट्टियां लपेटी जाती थीं. फिर उसके बाद शरीर के आकार के मिलते-जुलते लकड़ी के ताबुत तैयार किए जाते थे. इसके बाद धर्मगुरु के मतानुसार इस पर धार्मिक वाक्य आदि लिखे जाते थे और एक धार्मिक समारोह करके ताबूत को शरीर समेत चबूतरे पर सम्मान के साथ रख दिया जाता था.
प्राचीनकाल से ममी को दफनाने की प्रकिया अभी तक थमी नही हैं. वही प्रकिया के साथ आज भी ममी को तैयार किया जाता हैं. मिस्र में ममी बनाने की प्रकिया चलती-रहती हैं तो दूसरी ओर, साम्यवादी देशों में लोग अपने महान नेताओं की ममी तैयार करवाते हैं. वहीं हाल ही में दक्षिण कोरिया के शासक किम जोंग की मृत्यु हुई है. उनकी मृत्यु के बाद उनकी ममी बनवाई गयी है.
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