पति पत्नी में बढ़ते विवाद आधुनिकता की देन;
आधुनिक भाग दौड़ की जिंदगी ने नयी पीढ़ी के दाम्पत्य जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं. संयुक्त परिवार के बिखराव के पश्चात् एकाकी परिवार भी असंतोष का शिकार हो रहे हैं. पति पत्नी के बीच बढ़ते विवादों ने वैवाहिक संस्था को कलुषित कर दिया है और सामाजिक ढांचा चरमरा रहा है.
पुराने ज़माने में बेटी को विवाह पश्चात् विदा करना पूरे परिवार के लिए कष्ट दायक होता था. माता पिता तो हमेशा आशंकित रहते थे, किस प्रकार हमारी बेटी नए परिवार में सामंजस्य बना पायेगी, किस प्रकार से ससुराल वाले उससे व्यव्हार करेंगे, विशेष तौर पर सास के अत्याचार सर्वविदित थे. सास का आतंक घर में आने वाली बहू पर स्पष्ट झलकता था, जो उसे शादी की खुशियों का अहसास भी नहीं होने देता था. उसके लिए शादी होना एक कठिन परीक्षा से कम नहीं होता था. ससुराल वाले भी नयी नवेली बहू को एक नौकरानी की भांति परिवार का समस्त कार्य भार संभालने वाली से अधिक कुछ नहीं समझते थे. बहू की मजबूरी होती थी की वह ससुराल के प्रत्येक सदस्य की उम्मीदों पर खरी उतरे. पति एवं ससुराल के सदस्य बहू को रूपये छापने वाली मशीन समझ कर उसे प्रताड़ित करते थे, ताकि उसके मायके से दहेज़ के तौर पर धन की बौछार होती रहे. नित्य नयी वस्तु या धन की मांग कर ब्लेकमेल का धंधा चलता रहता था, यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती थी, तो ससुराल वाले बहू की हत्या करने से भी नहीं हिचकते थे. ताकि वे अपने बेटे का दूसरा विवाह कर फिर से दहेज़ में मोटी रकम प्राप्त कर सके. इस प्रकार एक महिला का शादी के पश्चात् शोषण होता था. महिला और उसके मायके वालों की भी मजबूरी होती थी की वह ससुराल पक्ष की जायज या नाजायज मांगों को पूर्ण करें. समाज में इस गंदगी का मुख्य कारण था महिला का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर न होना या अशिक्षित (अल्प शिक्षित) होना. इसीलिए शादी के पश्चात् महिला की मजबूर थी और उसके पास ससुराल वालों से सामंजस्य बैठाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होता था. क्योंकि मायके में भी शादी के पश्चात् बेटी को समाज की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप उसे अपनाने या मायके में निवास करने की इजाजत नहीं मिल सकती थी. माता पिता चाह कर भी सामाजिक कारणों से उसे रख सकने में असमर्थ होते थे. मायके पर भावजों का कब्ज़ा हो चुका होता था, अतः ऐसी अवस्था में महिला जिन्दगी भर ससुराल में शोषण का शिकार होती थी.शादी का अर्थ था एक गाय या बकरी रूप के समान एक ‘पालतू जानवर’ के मालिक का बदल जाना. पहले बेटी के रूप में पिता के संरक्षण में उसे रहना होता था, शादी के पश्चात् उसका मालिक या संरक्षक उसका पति हो जाता था और बुढ़ापे में वही महिला पुत्र के संरक्षण में आ जाती थी. अतः स्वतन्त्र रूप से उसका कोई अस्तित्व संभव नहीं था.
वर्तमान सन्दर्भ में नारी की स्थिति ;
आज कुछ देहाती क्षेत्रों या पिछड़े वर्गों को छोड़ कर अधिकतर महिला शिक्षित होती है.वह आर्थिक रूप से आत्म निर्भर हो सकने की क्षमता रखती है अर्थात वह कठिन परिस्थतियों में अपना भरण पोषण स्वयं कर सकती है. आज बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं अनेक प्रकार के कामकाज में व्यस्त हैं. अनेक महिलाएं अति सम्मानीय पदों पर कार्यरत हैं,आज एक महिला पुरुष के कंधे से कन्धा मिला कर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.आज उसका दखल व्यापार से लेकर तकनिकी क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र, राजनैतिक क्षेत्र में तो है ही साथ ही ऐसे क्षेत्रों में भी उसका दखल हो चुका है, जिन क्षेत्रों को सिर्फ पुरुषों को के लिए ही सुरक्षित माना जाता था जैसे वायुयान उड़ाना(पायलट), रेल इंजन चालना, टेक्सी चलाना, ट्रक चलाना, सेना या पुलिस में शामिल होना, उद्योगों का सञ्चालन करना इत्यादि में भी महिलाओं ने अपनी धाक जमा ली है.
आजादी के पश्चात् महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए अनेक कानून बनाये गए जिससे महिलाओं के शोषण को रोकने में सहायता मिली. जैसे दहेज़ निरोधक कानून 1961 ,हिन्दू विवाह अधिनियम 1955, बाल विवाह प्रतिरोधक अधिनियम 1952, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976, घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 इत्यादि. कानून द्वारा संरक्षण प्राप्त होने से महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है. आज कोई भी महिला ससुराल जाने से पूर्व पूर्णतया आश्वस्त होती है, की उसके साथ अब कोई अनुचित व्यव्हार नहीं कर सकता. क्योंकि अब कानून उसके हितों की रक्षा करता है और अपेक्षाकृत अधिक शिक्षित होने के कारण वह स्वयं कानूनों का सहारा ले पाने में भी सक्षम है,उसे कानून की समझ है और उसमे आर्थिक रूप से आत्म निर्भर होने की योग्यता है. अतः वह अब निरीह प्राणी नहीं है, जिसे शोषण का शिकार होना पड़े. जो महिलाएं कामकाजी हैं उनके लिए तो ससुराल या पति के मायने ही बदल गए हैं. उनके लिए पति परंपरागत परमेश्वर नहीं बल्कि एक सहयोगी है, जिसके साथ उसका समानता का अधिकार है. उसके लिए घर के सभी कार्यों में पत्नी का सहयोग करना पति का भी बराबर का कर्तव्य है. गृहणी(HOUSE WIFE) भी अपने घर के कार्यों को यथाशक्ति पूर्ण करने की इच्छा रखती है, परन्तु वह अन्याय का शिकार हो अब संभव नहीं रह गया है. अधिक तेज तर्रार महिलाएं तो कानूनों का भय दिखा कर ससुराल वालों पर हावी रहती हैं.यद्यपि यह सिर्फ कानूनों का दुरूपयोग है.
जो पुरुष अभी भी परम्परगत पुरुष मानसिकता से उभर नहीं पा रहे हैं, उनके लिए जीवन कष्टों भरा होता जा रहा है. उन्हें आये दिन अपनी पत्नी के साथ वाद विवाद में उलझना पड़ता है. क्योंकि अब महिला पढ़ी लिखी होने के कारण तर्क शक्ति भी रखती है, अतः वह पति की असंगत बातों के दबाव को सहन नहीं कर सकती और दाम्पत्य जीवन में टकराव की स्थिति उत्पन्न करती है. जब कभी विवाद लम्बे समय तक चलता है और कडुवाहट बढती है तो स्थिति तलाक तक भी पहुँच जाती है. यही कारण है हमारे समाज में गत कुछ दशकों से तलाक के केसों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.
अब हम यहाँ पर समझने का प्रयास करेंगे की कौन कौन कारण आम तौर पर पति पत्नी में विवाद का कारण बनते हैं.
वर्तमान दौर में पति पत्नी विवाद के मुख्य कारण
1,पति पत्नी दोनों के कामकाजी होने के कारण समय का अभाव रहना आपसी विवाद का मुख्य कारण बन जाता है.क्वालिटी टाइम के लिए दोनों ही परेशान होते हैं और एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं की वह समय नहीं निकाल पाता. जिस कारण घर के कार्य ठीक से व्यवस्थित नहीं हो पाते और आपसी असंतोष की उत्पत्ति होती है.
२, पति पत्नी विवाह के कुछ समय पश्चात् ही अनुभव करने लगते हैं की अब उसका पार्टनर उससे पहले जैसा प्यार नहीं करता, जी हां ये एक सामान्य समस्या है. अगर पति पत्नी दोनों वर्किंग हैं तो अति व्यस्तता दोनो के बीच के रोमांस को उड़ा देती है.परन्तु यदि पत्नी गृह स्वामिनी है अर्थात घर का कामकाज देखती है, पत्नी पति को कहती है कि तुम्हारी नौकरी मेरी सौत बन गयी है और पति कहता है कि तुम तो घर और बच्चों में उलझ कर मेरी तरफ ध्यान नहीं देती. और विवाद शुरू हो जाता है.
3,अनेक मामलों में पति या पत्नी के यार दोस्त आपसी विवाद के कारण बनते हैं,जब कोई पार्टनर अपने कार्यों (नौकरी,व्यापार इत्यादि) से निवृत होकर अपने पार्टनर या परिवार के स्थान पर अपने यार दोस्तों को अधिक महत्त्व देता/देती है,और पार्टनर की उपेक्षा होती है और पार्टनर के लिए आक्रोश का विषय बन जाता है और आपसी तनातानी होती है.
4,पति या पत्नी यदि अधिक क्रोधी स्वभाव का है तो निश्चित तौर पर परिवार में कलह का कारण बनता है.अक्सर क्रोधी स्वभाव वाले दंपत्ति हिंसा पर भी जा सकते हैं.जो कडुवाहट की सभी सीमायें लाँघ जाते हैं और हत्या जैसे अपराध में भी परिवर्तित हो सकता है.
5,पति द्वारा पत्नी के मायके वालों से या पत्नी द्वारा पति के परिवार वालों से सम्मानित व्यव्हार न करना आपसी नोक झोंक का कारण बनता है. अब पत्नी को सहन नहीं होता की उसका पति या अन्य ससुराल वाले उसके भाई या पिता का अपमान करे या दुर्वयवहार करे. ऐसी स्थिति में पत्नी कड़ा विरोध व्यक्त करती है.
6,यदि ससुराल वाले पत्नी से दुर्व्यवहार करते हैं तो पति को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है, और यदि पति अपने घर वालों का बिना सोचे समझे समर्थन करता है तो परिवार में कलह निश्चित है.
7,परिवार के किसी बड़े निर्णय,जैसे जायदाद की खरीद, वाहन की खरीद,बच्चों की पढाई से सम्बंधित फैसले,परिवार में खर्च सम्बन्धी निर्णय,इत्यादि में जीवन साथी से समर्थन न लेना परिवार में बहुत बड़े झगडे का कारण बनता है.
8,क्योंकि आज पति पत्नी अक्सर कामकाजी होते हैं, अतः उनका समाज के अन्य लोगों से संपर्क रहता है, अनेक विपरीत लिंगी व्यक्तियों के साथ भी सम्बन्ध रखने पड़ते हैं,जिसमे अनेक बार संदेह उत्पन्न होने के कारण आपसी संघर्ष हो जाता है अर्थात आपसी विश्वास की कमी परिवार में वाद विवाद का कारण बन जाती है.
कभी कभी तो पति पत्नी विवाद के कारण बड़े ही हास्यास्पद होते हैं, जैसे गीला तौलिया बिस्तर पर क्यों रख दिया या अपने सामान बैग,मौजे इत्यादि ऐसे ही फैंक देते हो, मेरे सामान को हाथ क्यों लगाया या मेरा सामान क्यों हटाया, तेरी छोटी सी नौकरी के लिए मुझे कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है,खाना पकाने में मेनू पर वाद विवाद अक्सर देखने को मिलता है. इस प्रकार देखने में आता है की आज सहन शक्ति का भी अभाव हो गया है और छोटी छोटी बातों पर उलझ जाना आम बात होती जा रही है.
झगडे सुलझाने के कुछ उपाय
- पति हो या पत्नी दोनों का उद्देश्य कभी भी पार्टनर से जीतने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए बल्कि झगडे को सुलझाना ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.अपने अहम् को आड़े नहीं आने देना चाहिए.
- एक दूसरे की बात को गंभीरता से सुनना चाहिए शायद आपके साथी की बात अधिक उचित हो, यदि ऐसा लगे तो अपनी गलती मानने में हिचक नहीं होनी चाहिए, एक दूसरे के अन्तःमन की बात सुनना दोनों के लिए लाभकारी होगा.
- अपने जीवन साथी के विचारों को भी समान रूप से प्रमुखता देनी चाहिए उसकी राय का सम्मान करना चाहिए.या तो स्वयं उसके विचारों से सहमत हो जाओ अथवा उसे अपने विचारों से संतुष्ट कर दो और समर्थन प्राप्त कर लो.
- अच्छा हो यदि अपने जीवन साथी के साथ प्यार से संवाद किया जाय.उसकी प्र.त्येक बात को गंभीरता से सुन कर प्यार से उत्तर दें.
- अनेक बार पति पत्नी दोनों कामकाजी होने पर पति/पत्नी के अधिक व्यस्त कार्यक्रम होने के कारण एक दूसरे को पर्याप्त समय न दे पाते हों, यह भी आपसी झगडे का कारण हो सकता है यदि दोनों एक दूसरे के लिए क्वालिटी टाइम निकालने का प्रयत्न करें तो आपसी तनाव से मुक्ति मिल सकती है.
- कभी भी झगडे के कारण आई संवादहीनता को लम्बा न खींचे बात आई और गयी मान कर, पुनः संबंधों को सामान्य कर लेना आवश्यक है.
- कभी भी एक दूसरे की कमियों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित न करे बल्कि उसकी अच्छाइयों को भी विचार करे. इन्सान गलतियों का पुतला होता है.कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं हो सकता जिसमे कोई कमी न हो. अतः आपसी रिश्तों में कमियों को नजरंदाज करने की आदत डालनी होगी. पति-पत्नी के बीच अनबन को दूर करने का उपाय चाहते है, तो आप जीवन साथी की हमेशा तारीफ करें. (यह एक परम सत्य है की मन से की गयी सच्ची तारीफ के दो बोल किसी को भी आप अपना बना लेते हैं)
- कभी कभी पति पत्नी के झगडे का कारण परिवार के सदस्यों का व्यव्हार होता है, अतः परिवार के किसी सदस्य का पक्ष लेने से पूर्व सावधानी से स्थिति को सोचना समझना चाहिए. गलत या सही का निर्णय स्वयं लें न की अन्य सदस्य के द्वारा दिए गए निर्णय को अपने जीवन साथी पर थोप दें.
- बीती बातों को बार बार नहीं दोहराना चाहिए वर्ना झगडा कभी ख़त्म नहीं होगा
- अपने क्रोध पर काबू रखें क्रोध अच्छे खासे संबंधो को भी तबाह कर सकता है.वाद विवाद को वार्तालाप तक ही सीमित रखें.किसी भी स्थिति में हिंसा का सहारा न लें.
- कभी भी एक दूसरे को नीचा दिखाने की न सोचें.और अहंकार से बचें. हमेशा एक दूसरे के लिए समर्पित रहें.
- एक दूसरे के चरित्र पर ऊँगली न उठायें.शक को पनपने न दें.कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे पार्टनर को संदेह करने की सम्भावना बने. समय समय पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करते रहे ताकि आपसी विश्वास में कमी न आ पाए.
यद्यपि आज का युवा अत्यंत प्रतिभाशाली है, परन्तु आपसी संबंधों में अक्सर नादानी कर बैठते हैं, इसी कारण आपसी तनाव बढ़ता है और परिवार की शांति भंग होती है और जीवन असहज हो जाता है.यदि थोड़ी सी सावधानी बरतें तो आपसी संबंधों में मधुरता जीवन भर बनी रह सकती है.(SA-212 F)