आजकल सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है, जहाँ कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को अपने मित्रों, प्रियजनों या समाज के आम नागरिकों के साथ साझा कर सकता है. यह एक बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है अपनी बात को जनता तक पहुँचाने का और अन्य लोगों के विचारों को सुनने और समझने का, तर्क, वितर्क,या कुतर्क करने का. कुछ लोग इस माध्यम का उपयोग अपनी बुद्धिमत्ता के सहारे जनता में एक भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं, अपने कुतर्कों के सहारे अपने गलत सलत विचारों को ही उचित ठहराने का भरसक प्रयास करते हैं और फिर यह कहने से भी नहीं चूकते की हम ही सच्चे देश भक्त और समाज के प्रति संवेदनशील हैं, समाज सेवक हैं. परन्तु वास्तव में इन कुतर्कों की सहारे से वे अपना या अपनी पार्टी का हित साध रहे होते हैं. यदि ऐसे लोगों से कोई सार्थक बहस का प्रयास भी करता है तो वे उसका अपमान करने या उसे धमकाने लग जाते हैं जैसे सर्वाधिक मेधा शक्ति उन्ही के पास है.
कुछ लोग सरकार की आलोचना करना अपना अधिकार मानते हैं, परन्तु सरकार द्वारा किये जा रहे देश हित के क़दमों की सराहना करने में अपनी लेखन क्षमता का अपमान समझते हैं. क्या संविधान ने उन्हें सिर्फ शासन प्रशासन की आलोचना का अधिकार दिया है. क्या उनका यह कर्तव्य नहीं है की यदि कोई व्यक्ति, नेता, शासन या प्रशासन देश हित में और समाज के हित में कार्य करे तो उनकी सराहना भी करें तथा उन्हें और भी अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करें? प्रत्येक मेधावी व्यक्ति का कर्तव्य है की वह निष्पक्ष होकर देश हित में समाज को सार्थक सन्देश दे और अपनी मेधावी शक्ति का सदुपयोग करे.
कुछ लोग तो ऊंचे से ऊंचे पदों पर बैठे व्यक्ति के लिए घोर अपमान जनक शब्दों का प्रयोग कर अपनी बौद्धिक क्षमता का परिचय देते हैं. क्या यही अभिव्यक्ति की आजादी होती है कि आप किसी भी सम्मानीय व्यक्ति को सरेआम अपमानित करो. अभिव्यक्ति का अर्थ है, आप अपने सार्थक एवं तर्क संगत विचार व्यक्त करें, शासन प्रशासन द्वारा की जा रही त्रुटियों को अपनी आलोचना(समीक्षा) द्वारा जनता के समक्ष रखें. ताकि हमारी कार्यपालिका दिशाहीन न होने पाए, समय समय पर उसकी त्रुटियों को समाज के समक्ष रखें और समाज के हित में कार्य करते रहने के लिए प्रेरित करे.परन्तु अच्छे कार्यों की सराहना भी करें.
कुछ लोग इस माध्यम से अफवाहे फैला कर समाज में अव्यवस्था पैदा करने का प्रयास करते रहते हैं, आपसी द्वेष फैलाकर अपने कुत्सित इरादों को सफल बनाने का प्रयास करते रहते हैं.कुछ आतंकवादी संगठन सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी का लाभ उठाने का प्रयास भी करते रहते हैं. कुछ अपराधी तत्व समाज में भ्रम पैदा कर अपने षडयंत्र रचने में सफल हो सकते हैं.
सोशल मीडिया के इतने प्रभाव शाली माध्यम का दुरूपयोग न होने पाए इसके लिए कोई प्रभावशाली कानून की महती आवश्यकता है. इस प्लेट फॉर्म पर होने वाली गतिविधियों की निरंतर निगरानी आवश्यक है. ताकि गलत उद्देश्य से अपनी पोस्ट करने वाले लोगों पर अंकुश लगाया जा सके. सरकार को शीघ्र ही एक निर्देशिका जारी करनी चाहिए,जिससे किसी व्यक्ति को किसी व्यक्ति या समूह का अपमान करने की छूट न मिल सके,किसी अराजक तत्व को समाज में भ्रम या अफवाह फ़ैलाने का अवसर न मिल सके,सोशल मीडिया का दुरूपयोग रोका जा सके.